बुखहोल्ज़ रिले का कार्य सिद्धांत

बुखहोल्ज़ रिले का कार्य सिद्धांत

बुखहोल्ज़ रिले एक तेल से भरे ट्रांसफार्मर की सुरक्षा के लिए उपयोग किया जाने वाला गैस संचालित रिले है। यह ट्रांसफार्मर में आंतरिक दोषों (शॉर्ट सर्किट, इंटर-टर्न फॉल्ट, तेल रिसाव) का पता लगाकर सुरक्षा प्रदान करता है।

कैसे काम करता है?

1. छोटे दोष (Minor Faults) - गैस संचयन द्वारा अलार्म

ट्रांसफार्मर में कोई छोटा आंतरिक दोष होने पर तेल विघटित (Decompose) होता है, जिससे गैस बुलबुले उत्पन्न होते हैं।

ये बुलबुले रिले के ऊपरी कक्ष में इकट्ठे होते हैं, जिससे तेल स्तर कम हो जाता है।

जब गैस का स्तर एक निश्चित सीमा तक पहुँच जाता है, तो एक फ्लोट झुकता है और अलार्म संकेत (Alarm Signal) भेजता है।

2. बड़े दोष (Severe Faults) - त्वरित तेल प्रवाह द्वारा ट्रिपिंग

यदि कोई बड़ा आंतरिक दोष (जैसे शॉर्ट सर्किट) होता है, तो तेल तेजी से विघटित होता है और अचानक गैस उत्पन्न होती है।

यह तेल के प्रवाह को तेज कर देता है, जिससे रिले में लगा फ्लैप (Flap) या फ्लोट (Float) हिलता है।

इससे ट्रांसफार्मर को तुरंत सप्लाई से अलग करने के लिए ट्रिप सिग्नल भेजा जाता है।

बुखहोल्ज़ रिले के कार्य

छोटे दोषों का पता लगाना फॉल्ट बढ़ने से पहले ही अलार्म दे देता है।

गंभीर दोषों से सुरक्षा बड़े फॉल्ट पर ट्रांसफार्मर को ट्रिप कर देता है।

तेल रिसाव की पहचान तेल स्तर कम होने पर संकेत देता है।

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